शोध एवं अनुसंधान विकास केंद्र रायपुर का प्रकाशन।(त्रैमासिक रिसर्च जर्नल।) और अधिक जानकारी के लिए।.
शोध एवं अनुसंधान पर छत्तीसगढ़ से नियमित प्रकाशित एवं स्थायी पंजीकृत रिसर्च जर्नल संपादक डॉ. सुधीर शर्मा प्रबंध संपादक डॉ. तृषा शर्मा एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई नगर मुख्य सलाहकार संपादक डॉ. ए. आर. चंद्राकर पूर्व कुलपति, पं. सुन्दरलाल शर्मा मुक्त वि.वि. (बिलासपुर ) .
संपादन मंडल डॉ. कृष्ण कुमार, (इंग्लैंड) रमेश नैयर, (रायपुर) डॉ. चित्तरंजन कर, (रायपुर) डॉ. के. एल. वर्मा (रायपुर) ए. के. शर्मा (मुंबई) डॉ. तीर्थेश्वर सिंह (अमरकंटक) संपादकीय पताः डॉ. सुधीर शर्मा, संपादक ई. डबल्यू. एस., 280, सेक्टर 4, आदिवासी हॉस्टल के पास, हाउसिंग बोर्ड कालोनी, डंगनिया, रायपुर, 492010 फोन (0771) 4038958, 94253-58748 संपादक सहित सभी पद अवैतनिक | www.shodh-prakalp.com IMPACT FACTOR IIFS-6.875 U.G.C. NO. 63535(OLD LIST) .
SHODH-PRAKALP
A Peer Reviewed Refereed Quarterly Research Journal
शोध प्रकल्प: एक परिचय
शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों के स्वीकृत अध्ययन के लिए शोध एवं अनुसंधान विकास केंद्र की स्थापना की गई थी.
शोध प्रकल्प केंद्र द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक रिसर्च जर्नल है। शोध प्रकल्प का संपादन मंडल देश के विभिन्न राज्यों के विद्वानों की सहभागिता से विगत बीस वर्षों से कुशलतापूर्वक कार्य कर रहा है. सहकारिता के आधार पर प्रकाशित इस रिसर्च जर्नल का प्रसार अविभाजित मध्य प्रदेश और नवीन छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं है अपितु जम्मू से लेकर तिरुवनंतपुरम् तक और नेपाल से लेकर अंडमान निकोबार तक है. देश के दूर-दूर के शोधार्थी और शोध निर्देशक पत्रिका के आजीवन सदस्य बन चुके हैं और लेखकीय सहयोग भी दे रहे हैं. इसी तरह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, अंडमान निकोबार, राजस्थान सहित अनेक राज्यों के विश्वविद्यालयों की शोध उपाधि समिति से शोध प्रकल्प मान्यता प्राप्त हैं। 2017 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, दिल्ली ने शोध प्रकल्प को मान्य किया है।
शोध- प्रकल्प को अंतरराष्ट्रीय मानक संख्या भी आबंटित है और जर्नल के रूप में भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय से भी यह स्थायी रूप से पंजीकृत है. शोध- प्रकल्प का उद्देश्य विषयों की सीमाओं से परे जाकर स्वतंत्र रूप से गहन शोध की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है ताकि शोधपत्र न केवल गंभीर अध्येता के लिए उपयोगी हों बल्कि यह समाजोन्मुखी भी हो. इन्हीं उद्देश्यों का लाभ जर्नल को प्राप्त हो रहा है. शोध प्रकल्प में कला और सामाजिक विज्ञान के विषयों के अलावा विज्ञान एवं अन्य विषयों के शोधपत्र भी समाहित किए जाते हैं. समय-समय पर विषय-विशेष के विशेषांक भी प्रकाशित होते हैं. रचनाकारों से निवेदनः
शोध- प्रकल्प का प्रकाशन सामान्यतया जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में किया जाता है. शोध पत्र भेजते समय कृपया निम्नलिखित बिन्दुओं पर अवश्य ध्यान दें:
1. शोधपत्र सामान्य रूप से अधिकतम 2000 शब्दों तक हो तथा अनिवार्य रूप से लगभग 200 शब्दों का सार संक्षेप भी प्रेषित करें शोधपत्र मौलिक एवं अप्रकाशित हो।
2. शोधपत्र ए-4 साइज के कागज पर टाइप या कंप्यूटर से एक तरफ ही मुद्रित हो और संदर्भ सहायक ग्रंथ सूची अनिवार्य रूप से अंत में संलग्न कर प्रेषित करें. संदर्भ सूची में वर्णमाला क्रम में प्रस्तुत की जानी चाहिए, जिसमें क्रमशः उपनाम, मुख्य नाम कोष्ठक में प्रकाशन वर्ष, पुस्तक का नाम एवं पृष्ठ अंकित होना ही चाहिए, यदि पत्रिका का संदर्भ है तो शीर्षक पत्रिका का नाम, अंक, भाग एवं पृष्ठ क्रम दें. चित्र, नक्शे, ग्राफ पृथक से संलग्न करें।
3. शोध - प्रकल्प सहकारिता के आधार पर प्रकाशित की जा रही है इसलिए रचनाकारों से निवेदन है कि आजीवन सदस्यता ग्रहण कर अपना योगदान दें। सदस्यता : आजीवन : 5000 रु. पाँच वर्ष 2000 रु. ( संस्थागतः 3000 रु.) | email : shodhprakalp@gmail.com शोध-पत्र ई-मेल से प्रेषित करना अनिवार्य है । .
पियर-रिव्यूड त्रैमासिक अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिका लेखकों के लिए निर्देश (Guidelines for Authors).
1. शोध-पत्र मौलिक, अप्रकाशित और शोधपरक होना चाहिए। यह किसी अन्य पत्रिका, पुस्तक, वेबपोर्टल आदि में पूर्व प्रकाशित या प्रकाशनाधीन नहीं होना चाहिए। इस आशय का घोषणा पत्र संलग्न कीजिए। 2. शोध-पत्र हिंदी या अंग्रेज़ी भाषा में स्वीकार किए जाएंगे। अन्य भारतीय भाषाओं में भेजे गए शोध-पत्रों को हिंदी/अंग्रेज़ी में अनुवाद सहित भेजें। 3. लेखकों की संख्या अधिकतम दो (2) तक सीमित रहेगी। 4. प्रत्येक लेख के साथ लेखक की लघु परिचयात्मक टिप्पणी (50 शब्दों में), Orcid ID (यदि हो), संस्थान का नाम, डाक का पता और ईमेल पता अनिवार्य है।
1. शीर्षक (Title): स्पष्ट, संक्षिप्त और विषयवस्तु को परिभाषित करता हो।
2. सारांश (Abstract): 150–200 शब्दों का सारांश, जिसमें शोध का उद्देश्य, पद्धति और निष्कर्ष हों। अंग्रेज़ी और हिंदी – दोनों में आवश्यक है।
3. कीवर्ड्स (Keywords): अधिकतम 5 कीवर्ड, अल्पविराम से पृथक।
4. मुख्य लेख (Main Text):
परिचय
समीक्षा साहित्य (यदि लागू हो)
शोध की आवश्यकता एवं उद्देश्य
शोध पद्धति
विश्लेषण एवं विवेचना
निष्कर्ष
संदर्भ सूची
1. फ़ॉन्ट और फॉर्मेट: हिंदी: Mangal / Unicode, फॉन्ट साइज: 14, लाइन स्पेसिंग: 1.5 अथवा कृति देव फोंट 010 साइज 14 प्वाइंट। आटो स्पेस अंग्रेज़ी: Times New Roman, फॉन्ट साइज: 12, लाइन स्पेसिंग: 1.5
2. शब्द सीमा:
शोध-पत्र: 2500–5000 शब्द
पुस्तक-समीक्षा / आलोचना: 1000–1500 शब्द
3. फ़ाइल फॉर्मेट:
Microsoft Word (.docx) या Open Document Format (.odt)
4. चित्र, तालिकाएँ व ग्राफ़: स्पष्ट, शीर्षकयुक्त और क्रमांक सहित। स्रोत का उल्लेख आवश्यक। बहुरंगी चित्र प्रकाशित नहीं किए जा सकते।
पत्रिका में MLA (Modern Language Association – 9th Edition) शैली का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण:
पुस्तक:
Sharma, Rajesh. Indian Aesthetics and Criticism. Oxford UP, 2020.
Verma, Sushma. “Dalit Voices in Hindi Fiction.” Journal of Hindi Studies, vol. 5, no. 1, 2023, pp. 25–37
हिंदी संदर्भ:
त्रिपाठी, रामानुज. भारतीय साहित्य का इतिहास. लोकभारती, 2019
1. प्राप्त शोध-पत्रों को प्रारंभिक छँटाई के बाद दो विशेषज्ञों द्वारा ब्लाइंड रिव्यू की प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
2. स्वीकृति, संशोधन अथवा अस्वीकृति की सूचना 4–6 सप्ताह में दी जाती है।
3. प्रकाशित लेखों के लेखक को ऑनलाइन प्रति (PDF) उपलब्ध कराई जाती है। प्रिंट प्रति अनुरोध पर उपलब्ध कराई जा सकती है। अतिरिक्त प्रति के लिए डाक सहित अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
4. किसी भी प्रकार की विचार, तथ्य या आंकड़ों की सत्यता लेखक की जिम्मेदारी होगी।
शोध-पत्र प्रकाशन हेतु शुल्क (Processing & Publication Fee): ₹1500/- (स्वीकृति के बाद ही देय)
Plagiarism रिपोर्ट (यदि पत्रिका से बनवाना हो): ₹250/- अतिरिक्त
(नोट: शुल्क गैर-वाणिज्यिक, तकनीकी कार्यवाही के लिए है।)
1. स्वीकृत शोध-पत्र के सभी कॉपीराइट पत्रिका के पास सुरक्षित रहेंगे।
2. लेखक पुनर्प्रकाशन या अन्य उपयोग हेतु संपादक-मंडल से अनुमति प्राप्त करेंगे।
3. किसी भी प्रकार की नकल/प्लैजेरिज्म पाए जाने पर लेखक जिम्मेदार होगा और भविष्य में शोध-प्रकल्प में प्रकाशन पर प्रतिबंधित किया जा सकता है।
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📍 पता: संपादकीय कार्यालय, शोध-प्रकल्प, वैभव प्रकाशन गली नंबर 05, पीएस सिटी रोड, रिंग रोड, चंगोराभाठा, रायपुर छत्तीसगढ़], भारत 492013
📌 नोट: उपर्युक्त सभी निर्देशों का पालन न करने पर शोध-पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा। अंतिम निर्णय संपादक मंडल का होगा।
शोध-प्रकल्प पियर-रिव्यू नीति (Peer Review Policy)
🔶 1. उद्देश्य
शोध-प्रकल्प एक उच्च-स्तरीय त्रैमासिक, पियर-रिव्यूड (Peer Reviewed) शोध-पत्रिका है, जो मौलिक, गुणवत्ता-परक, शोधपरक और समाजोपयोगी लेखन को बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्ध है। पत्रिका की पियर-रिव्यू नीति का उद्देश्य गुणवत्ता सुनिश्चित करना, बौद्धिक ईमानदारी को प्रोत्साहित करना तथा शोधकर्ता और पाठक समुदाय के मध्य विश्वसनीयता बनाए रखना है।
🔶 2. समीक्षात्मक प्रक्रिया का प्रकार (Type of Review)
ब्लाइंड पियर-रिव्यू (Blind Peer Review) पत्रिका 'डबल ब्लाइंड पियर रिव्यू' प्रक्रिया को अपनाती है, जिसमें: समीक्षक को लेखक की पहचान नहीं बताई जाती। लेखक को समीक्षक की पहचान गोपनीय रखी जाती है। इससे निष्पक्षता एवं निष्कलंक समीक्षा सुनिश्चित होती है।
🔶 3. समीक्षा प्रक्रिया (Review Process)
1. प्रारंभिक छँटाई (Initial Screening): प्राप्त लेखों की संपादकीय मंडल द्वारा विषयवस्तु, मौलिकता, भाषा, प्रस्तुति तथा प्लैजेरिज्म के आधार पर प्राथमिक जाँच की जाती है। 2. प्लैजेरिज्म परीक्षण (Plagiarism Check): सभी लेखों को प्लैजेरिज्म सॉफ़्टवेयर के माध्यम से जांचा जाता है। 20% से अधिक समानता पाए जाने पर लेख अस्वीकृत किया जा सकता है। 3. पाठ्य समीक्षा (Peer Evaluation): उपयुक्त पाए गए लेख विषय विशेषज्ञों को भेजे जाते हैं। वे निम्न बिंदुओं पर समीक्षा करते हैं: शोध की नवीनता और मौलिकता शोध उद्देश्य की स्पष्टता संदर्भ और उद्धरण की शुद्धता निष्कर्ष की संगति भाषा और शैली की उपयुक्तता 4. समीक्षा की अवधि (Review Timeline): समीक्षा प्रक्रिया सामान्यतः 4 से 6 सप्ताह के भीतर पूर्ण कर ली जाती है। 5. समीक्षा परिणाम (Review Outcome): स्वीकृति (Accepted as is) आंशिक संशोधन के साथ स्वीकृति (Accepted with Minor Revisions) प्रमुख संशोधन की आवश्यकता (Revise and Resubmit) अस्वीकृति (Rejected)
🔶 4. समीक्षक की भूमिका (Role of Reviewers) लेख की बौद्धिक गुणवत्ता का मूल्यांकन रचनात्मक एवं रचनात्मक आलोचना देना लेखक को सुधार हेतु स्पष्ट एवं शिष्ट सुझाव देना समयबद्ध समीक्षा प्रदान करना गोपनीयता बनाए रखना 🔶 5. लेखकों की जिम्मेदारी समीक्षकों की टिप्पणी के आधार पर समयबद्ध संशोधन प्रस्तुत करना सभी संशोधनों का उत्तर पत्र सहित पुनः प्रस्तुत करना तथ्यात्मक/सांख्यिकीय त्रुटियों हेतु पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का होगा 🔶 6. निष्पक्षता और पारदर्शिता संपादक या समीक्षक लेख के लेखक से व्यक्तिगत संबंध या पूर्वग्रह के आधार पर निर्णय नहीं लेते सभी निर्णय केवल लेख की गुणवत्ता के आधार पर लिए जाते हैं संपादकीय निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है 🔶 7. नैतिकता और गोपनीयता लेखक, संपादक और समीक्षक – सभी से प्रकाशन नैतिकता का पालन अपेक्षित है (जैसा कि COPE और UGC CARE दिशा-निर्देशों में उल्लिखित है) किसी भी प्रकार की जानकारी (जैसे लेखक की पहचान, लेख का मसौदा, समीक्षा टिप्पणियाँ) गोपनीय रखी जाती है। 🔶 8. टकराव की स्थिति (Conflict of Interest) समीक्षक को यदि लेख से जुड़ा कोई हित-संघर्ष (Conflict of Interest) प्रतीत हो, तो वे संपादक को सूचित कर समीक्षा से अलग हो सकते हैं। लेखक को भी यदि किसी संभावित पूर्वाग्रह की आशंका हो, तो वे समीक्षा से पूर्व संपादक को सूचित करें। 🔶 9. अपील और शिकायत लेखक यदि समीक्षा निर्णय से असंतुष्ट हों, तो वे औपचारिक रूप से संपादक को लिखित अपील भेज सकते हैं। पत्रिका समिति अपील पर विचार कर अंतिम निर्णय लेती है। 🔶 10. संपर्क डॉ सुधीर शर्मा संपादक, शोध-प्रकल्प 📧 ईमेल: shodhprakalp@gmail.com 🌐 वेबसाइट: [www.shodhprakalp.in 📞 मो.: +91-9039058748 📌 नोट: शोध-प्रकल्प समय-समय पर इस नीति में आवश्यकतानुसार संशोधन का अधिकार सुरक्षित रखता है।
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